Monday 3 August 2015

अगर आरज़ू की ज़रूरत नहीं है
तो ज़नाजे  से बेहतर कहाँ ज़िंदगी है

Sunday 2 August 2015

हमारी याद में आओगे तो
अब दिल खोल के लिख दूँ
मगर ज़ज्बात हैं ऐसे
की अब रोया नहीं जाता।

मगर इंसाफ की बातें
बड़ी तक़लीफ़ देतीं हैं.
तुम्हारे नूर की आदत
ने हमको जो न छोड़ा था



Monday 4 August 2014

ए पंक्षी देख ले ,
दुनिया की रश्मेँ छूटती हैं
उड़ा चल इस जहाँ के आसमां में
तू क्यूँ अब रात के साये से डरता है

ए पंक्षी देखता क्या है !!
जहाँ खाली पड़ा है
लगा दे जोर अब कुछ
भी बचा जो बाज़ुओं में

समय की माँग है तैयार कर
खुद को पथिक बन साहसी
तुझे संशय की सीमा से निकल...
नया इतिहास रचना है 

Saturday 26 July 2014

हो मुक्कमिल देश में ,खुद गर्ज़ राहें न सही
दूर दिखता आसमाँ ,तारोँ कि बाहें न सही
कह दो उस  तकदीर से ,दीदार तेरा दूर जो 
आ गए अपनी खुदी ,इतिहास ही लिख डालेंगें 

Saturday 10 May 2014

हर दुःख को खुद ही लेकर माँ ,कितना प्यार जताती है
बच्चों के हर ताने सहती  ,माँ तब भी मुस्काती है
माँ को चाहे मदर कहो या कह दो खुशियाँ धाम
हे श्रिस्टी की प्यारी अम्मा बारम्बार प्रणाम

कुछ विडम्बना है समाज की ,बढती चिंता है जो आज की
माँ  अंधियारे जीवन में जब  खुद ही दीप जलाती है
फिर भी चेहरे पे खुशियाँ ले हर गम को  पी जाती है
अब लफ़्ज़ों में क्या लिखूँ  पाऊँ ,तुझमें बसते राम
हे  श्रिस्टी में प्यारी अम्मा बारम्बार प्रणाम


Thursday 24 April 2014

ज़माने की लगता नज़र लग गई है
बहुत साल बीतें हैं खुशियों के मेले 
मोह्हबत की राहों में ,भटकने की इच्छा तोह  न थी
पर मंज़िल का ठिकाना ,गुजरा ही उधर से